अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी चित्रकार जुधईया बाई की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी भोपाल में


उमरिया- म.प्र. के जिला उमरिया की बैगा जनजाति की चित्रकार जुधईया बाई की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी महुआ पेड़ के नीचे एलाईंस फ्रांसीसी डे गैलरी अमलतास कम्प्लेक्स शाहपुरा भोपाल में 22 फरवरी 2020 से शुभारंभ हो रही है, जो 5 मार्च 2020 तक चलेगी। जुधईया बाई के पेंटिंग्स की प्रदर्शनी का उद्घाटन ख्यातनाम चित्रकार चंदन सिंह भट्टी द्वारा किया जाएगा। जुधईया बाई म.प्र. के अति पिछड़ा जनजाति बैगा जाति की 80 वर्ष की विधवा महिला हैं। जुधईया बाई ने अपने पति के निधन होने के पश्चात् स्थानीय स्तर पर शराब बनाकर और अधिकांशत: लकड़ी बेचकर अपना जीवन-यापन किया जाता रहा है और उनका जीवन अत्यंत आर्थिक परेशानियों से गुजर रहा था, तभी 2008 में विश्व भारती शांति निकेतन से फाईन आट्र्स में स्नातक और जामिया, इमिया, इस्लामिया से फाईन आट्र्स में स्नातकोत्तर लब्ध प्रतिष्ठ चित्रकार आशीष स्वामी ने उमरिया जिले के ग्राम लोढ़ा में जन-गण तस्वीर खाना बनाया और उस गांव के बैगा जनजाति के पुरूष और महिलाओं को ट्राइबल आर्ट के लिए प्रेरित किया। बैगा ट्राइबल आर्ट में मुख्य रूप से भगवान शिव, नागदेवता और बाघ को पूजा जाता है। जुधईया बाई ने बैगा परंपरागत आर्ट को अपने जीविका का साधन बनाया और अपनी पेंटिंग्स में मुख्य रूप से भगवान शिव को प्रदर्शित करने का कार्य किया। जुधईया बाई ने भारत भवन भोपाल में ट्राइबल वूमेन पेंटर्स की वर्कशॉप, मानव संग्राहलय भोपाल द्वारा केरला के चित्र कार्यशाला, ललित कला अकादमी नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय आदिवासी कला शिविर बांधवगढ़ में सक्रिय भागीदारी ली तथा भारत भवन भोपाल में पनमाघी आदि रंग, अरिरंग आदिवासी नाटक उत्सव में भी सहभागिता निभाई। जुधईया बाई ने लोक रंग महोत्सव भोपाल, आर्ट मार्ट खजुराहो, राष्ट्र नाट्य विद्यालय नई दिल्ली द्वारा शांतिनिकेतन (कलकत्ता) में आयोजित रंग महोत्सव, ट्राइफ्रेड द्वारा नई दिल्ली में आदि महोत्सव में भी अपनी चित्रकारी के रंग बिखेरे। जुधईया बाई की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी विदेशों में भी लग चुकी है, जिसमें 2019 में ईटली और इसी वर्ष फ्रांस के पेरिस सिटी में। आदिवासी चित्रकार जुधईया बाई को गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिले के कलेक्टर द्वारा सम्मानित किया जा चुका है और उज्जैन कुम्भ मेले में शहडोल संभाग का प्रतिनिधित्व भी इनके द्वारा किया गया। जिला उमरिया में आयोजित हो चुके विंध्य मैकल उत्सव में म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भी जुधईया बाई को सम्मानित किया जा चुका है। आदिवासियों की परंपरानुसार बैगा जनजाति द्वारा बड़ा देव को अपना देव मानते हैं और इसे प्रतीक के रूप में मुख्य रूप से साजा झाड़ के में स्थापित करते हैं, किन्तु वर्तमान में वनों के विनाश और साजा झाड़ की अनुपलब्धता विशेषकर शहरी क्षेत्रों में होने के कारण बड़ा देव को महुए के पेड़ में स्थापित किया जा रहा है और यही कारण है कि जुधईया बाई द्वारा भोपाल में आयोजित अपनी कला प्रदर्शनी को महुए के पेड़ को ही चुना गया। जुधईया बाई ने सभी कला प्रेमियों से उनकी भोपाल में आयोजित पेंटिंग्स प्रदर्शनी में सहभागिता की अपील की है।