बांधवगढ़ से दो बाघ वन विहार के लिए रवाना


उमरिया - बांधवगढ़ नेशनल पार्क से बुधवार को दो बाघ वन विहार के लिए भेजे गये । इनमें से एक नर व एक मादा बाघ है। इनकी उम्र लगभग ३ साल के करीब बताई जा रही है। इन दोनों शावकों को बाहेरहा इंक्लोजर में रखा गया था । ये दोनों बाघ मानव स्वाभाव के करीब आ चुके थे। जो कि अपना शिकार करनें में स्वयं अक्षम हो चले थे। काफी गहन विचार विमर्श  के बाद इन दोनो बाघों को वन विहार भेजना उचित समझा गया। लंबी जद्दोजहद के बाद आज इन्हें बाड़े से आजाद कर दिया गया। इन दोनों बाघों की अजीब कहानी यह है कि इनकी मां बाल्य काल महज डेढ़ वर्ष की थी तभी गर्भवती हो गई और बमेरा डेम के पास विचरण करती रही और वही पर ये उक्त शावकों को जन्म देने के बाद वहां से चली गई। चूंकि छोटी सी उम्र में मां बनने के बाद वह इनकी देखभाल करने में अक्षम थी जिन्हें पार्क प्रबंधन ने काफी दिनों तक निगरानी कर यह देखा कि उक्त बाघिन शावकों के पास नही आ रही है तब पार्क प्रबंधन ने दोनो नन्हें शावकों को अपनी अभिरक्षा में रखकर पाला पोसा और आज ये तीन वर्ष के हो चुके है। मामू के बाघ के नाम से ये दोनो शावक आज भी जाने जाते है। मामू नामक व्यक्ति से उक्त दोनो शावक इस तरीके से घुल मिल गये थे कि मामू के इशारे पर उक्त शावक अटखेलियां करते थे। उक्त दोनो शावकों के वन विहार चले जाने से मामू का और शावकों का एक दूसरे के प्रति स्नेह भंग हो चला है। पर मामू को इसका पश्चाताप ताउम्र रहेगा।  मानव स्वाभाव के आदि हो चुके बांधवगढ़ के दो बाघ वन विहार भोपाल में अब लोगों क ा मनोरंजन करेगे। बाघिन मां के छोड़ देने से अनाथ हुए ये भाई बहन को पार्क प्रबंधन ने पालन पोषण कर बड़ा किया । मानव स्वाभाव के आदि हो जाने से जंगल मे छोडऩे की बजाय वन विहार भोपाल भेजने का फैसला लिया गया। मां के आंचल से मरहूम बांधवगढ़ के बमेरा इलाके में लवारिश मिले भाई बहन बाघ शावक जवान होते ही वन विहार भोपाल के लिए रवाना करते पार्क प्रबंधन को वो दिन याद आ गये जब उन्हे दूध पिलाकर जीवन की दुआएं की जाती रही। यह बात २०१७ की है जब ये दोनो शावक बांधवगढ़ के बमेरा इलाके में लवारिश मिले थे। पार्क प्रबंधन को लगा कि हो सकता है मां आस पास हो और अपने शावको ले जाए, लेकिन ऐसा नही हुआ। और वह अभागिन मां लौटकर नही आने पर मां कीजिम्मेदारी पार्क प्रबंधन को लेनी पड़ी। शुरूआत के एक साल वही एक बाड़ा बनाकर मां का प्यार दिया गया। उन्हे वाईल्ड बनानें बाहेरहा इँंक्लोजर लाया गया लेकिन मानव की नजदीकियों से ये खूंखार बाघ नही बन पाए। जो जंगल के राजा के तौर पर जी सके। लिहाजा वन विशेषज्ञो की सलाह पर दोनो भाई बहन को आज वन विहार भोपाल के लिए रवाना कर दिया गया जो कि अपने स्वाभाव के अनुरूप मानव के नजदीक रहेगे। बांधवगढ़ के बाहेरहा इंक्लोजर में इन दो अनाथ बाघो की तरह ही अलग अलग तरह से नौ बाघो को रखा गया था, जिन्हें आजाद करने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने हरी झण्डी दी है। लिहाजा योजनाबद्ध तरीके से बाघ शिप्ट किये जायेगे। हाल ही में दो बाघों की पहली खेप सतपुड़ा टाईगर रिजर्व भेजे जाने के बाद दूसरी खेप वन विहार भोपाल गई है। इसकेबाद एक और अनाथ बाघ सतपुड़ा भेजा जाना है। जबकि दो बाघ नौरादेही के लिए प्रस्तावित है। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व बाघो के प्रजनन एवं संरक्षण के लिए दुनिया का सबसे बेहतर हैवी टेप माना जा रहा है। और यही वजह है कि दुनिया के पर्यटकों को यहंा टाईगर रिजर्व सौ फीसदी बाघ दर्शन की गारंटी भी देता है साथ ही यहां के बाघ वंशजो से मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य टाईगर रिजर्व बाघो से गुलजार हो रहे है। बांधवगढ़ से अब तक संजय टाईगर रिजर्व , पन्ना, सतपुड़ा वन विहार भोपाल, नौरादेही, अभ्यारण एवं उड़ीसा के सतकोसिया अभ्यारण में दर्जनो बाघ शिप्ट किए जा चुके है। 
बांधवगढ़ से दो बाघ वन विहार के लिए रवाना
फोटो ७ से १०
उमरिया - बांधवगढ़ नेशनल पार्क से बुधवार को दो बाघ वन विहार के लिए भेजे गये । इनमें से एक नर व एक मादा बाघ है। इनकी उम्र लगभग ३ साल के करीब बताई जा रही है। इन दोनों शावकों को बाहेरहा इंक्लोजर में रखा गया था । ये दोनों बाघ मानव स्वाभाव के करीब आ चुके थे। जो कि अपना शिकार करनें में स्वयं अक्षम हो चले थे। काफी गहन विचार विमर्श  के बाद इन दोनो बाघों को वन विहार भेजना उचित समझा गया। लंबी जद्दोजहद के बाद आज इन्हें बाड़े से आजाद कर दिया गया। इन दोनों बाघों की अजीब कहानी यह है कि इनकी मां बाल्य काल महज डेढ़ वर्ष की थी तभी गर्भवती हो गई और बमेरा डेम के पास विचरण करती रही और वही पर ये उक्त शावकों को जन्म देने के बाद वहां से चली गई। चूंकि छोटी सी उम्र में मां बनने के बाद वह इनकी देखभाल करने में अक्षम थी जिन्हें पार्क प्रबंधन ने काफी दिनों तक निगरानी कर यह देखा कि उक्त बाघिन शावकों के पास नही आ रही है तब पार्क प्रबंधन ने दोनो नन्हें शावकों को अपनी अभिरक्षा में रखकर पाला पोसा और आज ये तीन वर्ष के हो चुके है। मामू के बाघ के नाम से ये दोनो शावक आज भी जाने जाते है। मामू नामक व्यक्ति से उक्त दोनो शावक इस तरीके से घुल मिल गये थे कि मामू के इशारे पर उक्त शावक अटखेलियां करते थे। उक्त दोनो शावकों के वन विहार चले जाने से मामू का और शावकों का एक दूसरे के प्रति स्नेह भंग हो चला है। पर मामू को इसका पश्चाताप ताउम्र रहेगा।  मानव स्वाभाव के आदि हो चुके बांधवगढ़ के दो बाघ वन विहार भोपाल में अब लोगों क ा मनोरंजन करेगे। बाघिन मां के छोड़ देने से अनाथ हुए ये भाई बहन को पार्क प्रबंधन ने पालन पोषण कर बड़ा किया । मानव स्वाभाव के आदि हो जाने से जंगल मे छोडऩे की बजाय वन विहार भोपाल भेजने का फैसला लिया गया। मां के आंचल से मरहूम बांधवगढ़ के बमेरा इलाके में लवारिश मिले भाई बहन बाघ शावक जवान होते ही वन विहार भोपाल के लिए रवाना करते पार्क प्रबंधन को वो दिन याद आ गये जब उन्हे दूध पिलाकर जीवन की दुआएं की जाती रही। यह बात २०१७ की है जब ये दोनो शावक बांधवगढ़ के बमेरा इलाके में लवारिश मिले थे। पार्क प्रबंधन को लगा कि हो सकता है मां आस पास हो और अपने शावको ले जाए, लेकिन ऐसा नही हुआ। और वह अभागिन मां लौटकर नही आने पर मां कीजिम्मेदारी पार्क प्रबंधन को लेनी पड़ी। शुरूआत के एक साल वही एक बाड़ा बनाकर मां का प्यार दिया गया। उन्हे वाईल्ड बनानें बाहेरहा इँंक्लोजर लाया गया लेकिन मानव की नजदीकियों से ये खूंखार बाघ नही बन पाए। जो जंगल के राजा के तौर पर जी सके। लिहाजा वन विशेषज्ञो की सलाह पर दोनो भाई बहन को आज वन विहार भोपाल के लिए रवाना कर दिया गया जो कि अपने स्वाभाव के अनुरूप मानव के नजदीक रहेगे। बांधवगढ़ के बाहेरहा इंक्लोजर में इन दो अनाथ बाघो की तरह ही अलग अलग तरह से नौ बाघो को रखा गया था, जिन्हें आजाद करने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने हरी झण्डी दी है। लिहाजा योजनाबद्ध तरीके से बाघ शिप्ट किये जायेगे। हाल ही में दो बाघों की पहली खेप सतपुड़ा टाईगर रिजर्व भेजे जाने के बाद दूसरी खेप वन विहार भोपाल गई है। इसकेबाद एक और अनाथ बाघ सतपुड़ा भेजा जाना है। जबकि दो बाघ नौरादेही के लिए प्रस्तावित है। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व बाघो के प्रजनन एवं संरक्षण के लिए दुनिया का सबसे बेहतर हैवी टेप माना जा रहा है। और यही वजह है कि दुनिया के पर्यटकों को यहंा टाईगर रिजर्व सौ फीसदी बाघ दर्शन की गारंटी भी देता है साथ ही यहां के बाघ वंशजो से मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य टाईगर रिजर्व बाघो से गुलजार हो रहे है। बांधवगढ़ से अब तक संजय टाईगर रिजर्व , पन्ना, सतपुड़ा वन विहार भोपाल, नौरादेही, अभ्यारण एवं उड़ीसा के सतकोसिया अभ्यारण में दर्जनो बाघ शिप्ट किए जा चुके है।