पांच दिवसीय बायो सैंड वाटर फिल्टर प्रशिक्षण का शुभारम्भ


उमरिया - जिले के आकाशकोट क्षेत्र के जंगेला ग्राम में फ्रैंडली वाटर फॉर वर्ड व राष्ट्रीय युवा संगठन के संयुक्त प्रयास से बायो सैंड वाटर फिल्टर का 5 दिवसीय प्रशिक्षण प्रारम्भ किया गया है। ज्ञात होकि राष्ट्रीय युवा संगठन पिछले कई सालों से आकाशकोट क्षेत्र में युवाओं के समूह के साथ मिलकर ग्राम विकास का कार्य करता रहा है उसी तात्पर्य में महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की कल्पना के साथ ही बायो सैंड वाटर फिल्टर का कार्य करना प्रारम्भ किया गया है। मास्टर ट्रेनर अजमत भाई ने बताया कि जल ही जीवन है इस बात में कोई संशय नहीं है क्यों कि धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है दैनिक जीवन के कई कार्य बिना जल के सम्भव नहीं है लेकिन धीरे धीरे धरती पर जल की कमी होती जा रही है। साथ ही जो भी जल उपलब्ध है वह भी काफी हद तक प्रदूषित होता जा रहा है जिसका इस्तेमाल खाने-पीने में कर हम बीमारियों से परेशान होते जा रहे है जिसके कारण बीमारियों में ज्यादा पैसा ख़र्च होता है व बच्चों में डायरिया के कारण कुपोषण हो जाता है। बायो सैंड वाटर फिल्टर पानी शुद्ध करने का एक ढाँचा है जिसमें रेत व बजरी से भरा जाता है यह सुरक्षित पानी के लिए बहुआयामी प्रयास है। पानी को सुरक्षित रखने से लेकर इसका इसका उपचार तथा सुरक्षित संग्रह इस प्रक्रिया का हरेक चरण के होने वाले ख़तरे से बचाता है। पानी शुद्ध करने के पारंपरिक तथा घरेलू उपचार के तरीके पानी के मूल उपचार के तरीक़े का पालन करते है। समाजिक कार्यकर्ता भुपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि आज के समय में पानी की समस्या जैसे बढ़ती जा रही है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में बायो सैंड वाटर फिल्टर सबसे उपयोगी है इस फिल्टर को कनाडा फ्रैंडली वाटर फॉर वर्ड के वैज्ञानिक डेविड ने कम पैसों में एक श्बॉयो-सैंड वॉटर फिल्टर बनाया है, जोकि पानी में मौजूद पार्टिकल्स और पैथोजेंस को आसानी से बाहर निकाल देता है। हालांकि ये प्रक्रिया थोड़ी धीमी जरूर है, लेकिन इसकी मदद से पानी में मौजूद करीब 98 फीसद बैकटेरिया, 100 फीसद वायरस और 99 फीसद पैरासाइट्स, प्रोटोजोआ और वॉम्र्स से निजात पाया जा सकता है। इस वॉटर प्यूरीफिकेशन तकनीक की मदद से टाइफाइड, हैजा, ई-कोली बैकटीरिया, रोटावाइरस जैसी पानी से होने वाली कई अन्य बिमारियों से बचा सकता है। मुम्बई से आय सुल्तान शेख़ ने कहा कि आमुमन तौर पर गांव में रहने वाले ज्यादातर लोग असुरक्षित पानी पीते हैं। इनमें से कुछ परिवार पानी को पीने से पहले उबालने की प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये प्रक्रिया किसी भी गांव में रहने वाले गरीब इंसान के लिए खासी मंहगी पड़ती है। ऐसे में कम पैसों में स्वच्छ पानी हासिल करने के लिए कनाडा के वैज्ञानिक ने गजब की टेक्नॉलजी बनाई है। इसकी मदद से हम सभी को साफ पानी उपलब्ध करा सकेंगे। इस प्रशिक्षण में 20 प्रशिक्षार्थी शामिल हुए है जो प्रशिक्षण उपरांत अपने आप पास में साफ पानी सभी को मिल सके इसके लिए कर रहेंगे।