रघु ठाकुर ने विद्यार्थियों को दी संसदीय कार्य प्रणाली की जानकारी


उमरिया - हमारे देश में ससंदीय प्रणाली लागू है। राष्ट्र स्तर पर लोक सभा एवं राज्य सभा तथा राज्य स्तर पर विधानसभा एवं कुछ राज्यों में विधान परिषद संचालित है। संसदीय प्रणाली लोक तंत्र को मजबूत बनाती है। इन संस्थाओं हेतु जनता द्वारा चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों में आत्म अनुशासन तथा संसदीय प्रणाली एवं उसकी प्रक्रिया की जानकारी होनी आवश्यक है। संसद एवं विधानसभाओं के संचालन की निर्धारित प्रक्रिया होती है। जिसमें जन हित से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा तथा कानून बनानें का कार्य बहुमत के साथ किया जाता हैं। ससंदीय प्रणाली जन आस्था एवं विश्वास की प्रणाली है। इसलिए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का आचरण भी आस्था का केंद्र होना चाहिए। इस आशय के विचार आज रणविजय प्रताप सिंह महाविद्यालय उमरिया में आयोजित युवा संसद के मंचन के अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गांधी वादी विचारक रघु ठाकुर ने व्यक्त किए।  कार्यक्रम का आयोजन पंडित कुंजीलाल दुबे संसदीय विद्यापीठ के सहयोग से किया गया। 
इस अवसर पर महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष एरास खान, महाविद्यालय के प्राचार्य सी बी सोधिंया, आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य अभय पाण्डेय, महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र विजय शुक्ला, अग्रणी बैंक प्रबंधक श्री रूसिया, पालीटेक्निक के प्राचार्य अतुल वाजपेयी, प्रध्यापक एम एन स्वामी, संजीव शर्मा सहित उद्यमी, पत्रकार संजय शर्मा सहित बडी संख्या में महाविद्यालयीन छात्र उपस्थित थे। 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रघु ठाकुर ने कहा कि जनप्रतिनिधियो के निर्वाचन में मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी आवश्यक है। आपने बताया कि संविधान में तीन सूचियां है जिसमें केंद्र, राज्य एवं समवर्ती सूची शामिल है। इन्हीं में इन संस्थाओ को कानून बनानें का अधिकार प्राप्त होता है। संसद में सत्तारूढ़ दल एवं विपक्ष होता है। कार्यवाही संचालन हेतु स्पीकर का चयन सदस्यों द्वारा किया जाता है। सत्ता रूढ़ दल का नेता केंद्र में प्रधानमंत्री तथा राज्यों में मुख्यमंत्री होता है। इसी तरह विपक्ष का नेता भी विपक्षीय दल द्वारा चयनित किया जा रहा हैं। इन संस्थाओं में व्यवस्था से संबंधित प्रश्नों के जवाब सत्ता रूढ़ दल को देने होते है। प्रश्न तारांकित एवं अतारांकित होते है। इसी तरह स्थगन तथा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाए जाते है। सत्तारूढ दल स्थगन प्रस्ताव नही ला सकता है। संसद का शुभारंभ संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति के अभिभाषण से होता है। संसद से से अपेक्षा होती है कि दिए गए उत्तर सत्य हो तथा संवेदनशीलता के साथ दिए गए हो। 
पत्रकार संजय शर्मा ने कहा कि संसद कानून बनानें के साथ ही देश के प्रमुख मुददों पर चर्चा करती है। तथा नियम बनाती है। वह देश की व्यवस्था के लिए जवाबदेह होती है। उत्कृष्ट महाविद्यालय के प्राचार्य डा अभय पाण्डेय ने कहा कि आज पारदर्शिता तथा जवाबदेही का समय है । मतदाता अपने चुने हुए प्रतिनिधि से क्षेत्र के विकास तथा जनहित के मुद्दों पर कार्य करनें की अपेक्षा रखती है। महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा संसद के संचालन की माक कार्यवाही का मचंन किया गया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के प्राध्यापक एम एन स्वामी द्वारा किया गया।