आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में दस फीसदी लोगों को मिला आवास और शौचालय का लाभ 


उमरिया - शासन प्रशासन गांव को शहरों की भांति विकास के मॉडल में आगे बढ़ाने के लिए योजनाएं तो बना रहा है लेकिन उनका सही लाभ वास्तविक लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा। कुछ इसी तरह का मामला ग्राम पंचायत बड़ेखरा -१६ में हुआ है। यहां आदिवासी बाहुल्य ३२५० की आबादी में १० फीसदी लोगों को आवास व शौचालय का लाभ मिल पाया। दोनो महत्वपूर्ण योजनाएं केवल सरपंच, सचिव के चेहेतो व सुविधा शुल्क देने वाले लोगों तक सिमट कर रह गईं। आज भी गांव में पांच सौ से अधिक निर्धन पात्र परिवार इनका लाभ पाने कतार में हैं। बता दें कि जिला मुख्यालय उमरिया से तकरीबन ४५ किमी. दूर बडख़ेरा पंचायत-१६ बसी हुई है। पंचायत अंतर्गत तीन गांव ताला व भलवार तथा बडख़ेरा इसके पोषक गांव है। इनमे कुल ३२५० जनसंख्या निवासरत है। पिछले दो साल में लक्ष्य के मुकाबले वर्ष २०१८-१९ में ३४ आवास में कार्य प्रारंभ हुआ। इस वर्ष २०२० में ३८ निर्माणाधीन है। अभी तक पांच पूर्ण हुए हैं। इसी तरह शौचालय में गत वर्ष २०१८ में ५० से भी कम बने। इस बार २३ में काम चालू बताया जा रहा है। पंचायत में ज्यादातर बैगा व गोंड समाज के लोग निवासरत हैं। किसानी व मेहनत मजदूरी कर अपना जीविकोपार्जन करते हैं। ग्रामीणों का कहना है दोनों योजनाओं में पंचायत स्तर से व्यापक गड़बड़ी की जाती है। सचिव ने अपने रिश्तेदारों को ही निर्माण की जिम्मेदारी दे दी है। सभी मिल बांटकर उन्हीं को लाभ दिलाते हैं जिनसे इन्हें कमीशन में बतौर रिश्वत राशि प्राप्त होती है। यही नहीं हाल ही में इन्हें तकरीबन ३० शौचालय निर्माण का लक्ष्य मिला था। इसमे फर्जीवाड़ा करते हुए केवल कमोट सीट बिठाकर दरवाजा लगा दिया गया। फिर फोटों खींचकर जियो टैग तक कर दिया गया है। जबकि हकीकत यह है मौके पर ऐसे कई हितग्राही हैं जिनके घर में आज तक गड्ढे नहीं हो पाए हैं। वे लोग इनका उपयोग ही नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में पंचायत का कहना है वे अभी निर्माणाधीन स्तर पर हैं।


चनई, शौचालय हितग्राही
 सालभर में अभी तक दो से तीन बार खाता नंबर मांगकर ले गए। फोटो भी खींच गए। खाते में शौचालय निर्माण की राशि नहीं आई। हमने घर की पूंजी लगाकर मजदूरों का भुगतान किया है।
रेखा बाई, गृहणी
 आवास व शौचालय का कार्य प्राप्त निर्देशों के तहत ही किया जा रहा है। वर्तमान में कई हितग्राहियों का काम जारी है। जल्द ही अन्य शेष को भी इनका लाभ दिलाएंगे।
मान सिंह, सचिव बडख़ेरा-१६
 सूची में नाम आने के बाद भी मुझे आवास नहीं मिला। झोपड़ी में गुजर बसर हो रहा है जो लोग आर्थिक संपन्न है, रुपए देकर योजना का लाभ ले चुके हैं। हम गरीबों की सुनने वाला कोई नहीं।         नरेश चौधरी