उमरिया - ४० हजार की जनसंख्या वाला उमरिया मुख्यालय करीब 20 वर्षों पूर्व जिला बना लेकिन आज तक यहां नागरिकों और छात्र-छात्राओं के अध्ययन व ज्ञानवर्धन के लिए एक सुविधाजनक तथा विकसित पुस्तकालय या ग्रंथालय की स्थापना नहीं की जा सकी। पूर्व में संजय मार्केट में एक पुस्तकालय एक छोटे से भवन में सीमित अध्ययन सामग्रियों से एक पुस्तकालय का संचालन किया जाता था। पूर्व नगर पालिका की अध्यक्ष ने नगर में विकास की गंगा इस तरह बहाई कि पुस्तकालय भवन भी बह गया। इसके पीछे नि:संदेह नपा अध्यक्ष की यही मंशा रही होगी कि नगर के नागरिक ज्यादा शिक्षित न हो पाये। वहां पर भवन को तोड़कर वर्ग विशेष के लिए दुकाने बनाकर आवंटित कर दी गई । आज भी यह सवाल लोगो की जहन मे कौंद रहा है कि यहां की सामग्री , फर्नीचर , पुस्तके कहंा चली गई । लगभग ६ वर्ष बीतने के बाद भी भवन बनकर तैयार नहीं हुआ। आज भी भवन को अपूर्ण बताया जा रहा है।
जानकारियां नहीं मिलतीं है
पुस्तकालय में पठन-पाठन सामग्री की पूर्णता के लिए अच्छे ग्रंंथ, बड़े लेखकों व विचारकों की विविध विषयों की पुस्तकें मंगा कर स्टोर में रखे जाने का प्रावधान होता है। सामान्य सदस्यता शुल्क देकर महगी किताबें पढऩे को ली जा सकती हैं। साथ ही दैनिक पत्र व प्रादेशिक, राष्ट्रीय पत्रिकाओं का संकलन भी मंगाकर टेबिलों में लगाया जाता है। जिसे पाठक पढ़कर देश-विदेश के घटनाक्रमों की जानकारियां अर्जित करते हैं। छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित जानकारियां तथा रोजगार संबंधी समाचार पुस्तकालय से प्राप्त हो सकते हैं। लेकिन यहां पुस्तकालय की कमी से छात्र-छात्राएं इन सुविधाओं से वंचित हैं। बुजुर्ग नागरिक सामाजिक व दार्शनिक तथा धार्मिक पुस्तकें पढ़कर अपने ज्ञान का परिमार्जन कर सकते हैं। लेकिन यहां इस सुविधा का अभाव है। लोग वर्षों से पुस्तकालय खुलने और उसकी सदस्यता ग्रहण करने को तैयार बैठे हैं।
भवन में पर्याप्त जगह नहीं थी
बताया गया कि पूर्व में जहां पुस्तकालय था वहां पर्याप्त जगह नहीं थी। सदस्यों के निस्तार व पेयजल सुविधा हेतु जगह नहीं निकल पा रही थी। इसके अलावा भविष्य में आवश्यकतानुसार पुस्तकालय में विस्तार करने की भी कोई जगह नहीं थी। इसलिए कुछ वर्षों तक यहां पुस्तकालय संचालित हुआ और फिर विकास की प्रक्रिया के तहत नगरपालिका ने मार्केट मेें जहां लायब्रेरी थी वहां दूकाने बनवा दीं । नगर पालिका अधिकारी का कहना है कि पुस्तकालय भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। उसकी व्यवस्था के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। पुस्तकालय जनसुविधा की दृष्टि से तैयार कराया जा रहा है।
अभी तक नही बन सका पुस्तकालय