बाघ पुर्नस्थापना परियोजना के तहत बाघ विहीन जंगलों में बांधवगढ़ से अब तक भेजे जा चुके है १८ बाघ


उमरिया- प्रदेश भर में बाघों की संख्या की बढाने में बाँधवंगढ टाइगर रिजर्व का विशेष योगदान रहा है। बता दें बाघ पुर्नस्थापना योजना के तहत बीते 8 सालों में बाँधवंगढ टाइगर रिजर्व से १८ बाघ अन्य टाइगर रिजर्वो में भेजे गए हैं जिसमे पन्ना टाइगर रिजर्व में  संजय टाइगर रिजर्व में एक, सतपुडा टाइगर रिजर्व में ५, नौरादेही अभ्यारण में एक, वन विहार भोपाल में ६ बाघों को पुनस्र्थापित कर बाघों की संख्या बढाने का कार्य किया गया है इसके अलावा बाँधवंगढ टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा जून 2018 में एक बाघिन प्रदेश के बाहर उड़ीसा राज्य के सतकोसिया अभ्यारण भेजा गया है। खास बात यह कि बाँधवंगढ टाइगर रिजर्व के अलग अलग बाडों में कैद  ३ बाघ अभी और बाघ पुनस्र्थापना के तहत अन्य बाघ विहीन जंगलों में भेजे जाएंगे। 
.बाघों का ब्रीडिंग सेण्टर बना बांधवगढ़
प्रबंधन के मुताबिक बाँधवगढ टाइगर रिजर्व का प्राकृतिक वातावरण बाघों के आवास आहार एवं प्रजनन के लिए सबसे उपयुक्त है और यही वजह है कि बाँधवंगढ टाइगर रिजर्व बीते दस सालों में बाघों के ब्रीडिंग सेंटर के रूप में विकसित हुआ है। बाँधवंगढ़ टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1536 वर्ग किमी है जिसमे बाघों के लिए सघन कोर जंगल महज 694 वर्ग किमी है जिसमे बाकी की हिस्सा बफर जोन का है जिसमे सैकडों गांव आबाद है ,जहां वन्य जीव और मानव द्वंद एक बडी चुनौती के रूप में उभरकर सामने आई दूसरी ओर बाघों के बीच  बढ़ती वर्चस्व की लड़ाई ने बाघों की असामयिक मौत में भी इजाफा किया। 
दस सालों में हुई ४६ बाघो की मौत
टाइगर रिजर्व में बीते दस सालों में 46 बाघों की मौत हुई है जिसमे टैरोटिरि फाइट में बाघों की मौत सबसे ज्यादा हुई है।वन्य जीव विशेसज्ञ बाँधवंगढ़ में बाघों की असामयिक मौत को चिंता का विषय बता रहे हैं और इसे रोकने के लिए सूक्ष्म अध्ययन की मांग की मांग के साथ बाघ सरंक्षण को पर्यटन से अलग करने की भी मांग की जा रही है ताकि बाघ सरंक्षण में जुटे अधिकारी कर्मचारी एकाग्रता से कार्य कर सकें। बाँधवंगढ़ टाइगर रिजर्व के घने जंगल पहाडिय़ों से झरते झरने बाघों के लिए बेहतर हैबिटेट का निर्माण करते हैं और यही वजह है कि यहां बाघों का औसत घनत्व दुनिया मे सबसे ज्यादा है और प्रजनन दर भी। बाघ सरंक्षण की दिशा में कार्यरत प्रबंधन के सामने बाघों की बढ़ती संख्या के बराबर प्राकृतिक वातावरण बनाये रखना और उनकी असामयिक मौत को रोकना मुख्य चुनौती है।


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