चार गौशालाओं की बागडोर होगी स्व-सहायता समूह के हाथ        


उमरिया - गौवंश हमारी गांव आधारित अर्थ व्यवस्था की धुरी है। ग्राम जीवन में गाय इतनी रच बस गई है कि दोनो अलग कर देख पाना कठिन है। गाय केवल आय अथवा रोजगार का साध नही नही बल्कि सदैव से हमारी संस्कृति , परंपरा एवं आस्था का केंद्र रही है। गाय का  पूरा जीवन और उससे प्राप्त पंच गव्य मंगलमय जीवन के लिए वरदान है। गाय का दूध, दही, घी, गोबर और गौमूत्र का उपयोग मनुष्य को स्वस्थ्य तथा निरोगी बनाता है। 
 गौ वंश का संरक्षण प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। उमरिया जिले में 100- 100 गायों के रखने की क्षमता वाली चार गौशालाओं का निर्माण पूर्णता की ओर है। ये गौशालाएं करकेली जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत कौडिय़ा-22 , कोयलारी-63, पाली जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत मुदरिया तथा मानपुर जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत बड़ार में बनाई जा रही है। 
 जिले में गौशालाओं के संचालन का दायित्व मध्यप्रदेश डे ग्रामीण आजीविका परियोजना के माध्यम से गठित स्थानीय स्व सहायता समूहों को सौंपने का निर्णय जिला प्रशासन द्वारा लिया गया है। इससे स्व- सहायता समूहों को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से समृद्ध किया जा सकेगा।
गौशाला परियोजना अन्तर्गत निराश्रित गौवंश की देख रेख के लिये जिले में प्रथम चरण में निर्मित की जा रही चार  गौशालाओं के संचालन हेतु स्थानीय स्तर पर चयनित स्व सहायता समूहों को प्रशिक्षण सह एक्पोजर विजिट हेतु जिला सतना विकासखण्ड मझगंवा अन्तर्गत संचालित श्री सतगुरू गौ सेवा केन्द्र चित्रकूट का भ्रमण कराया गया जिसके माध्यम से गौशालाओ के रखरखाव, पशुओं की व्यवस्थाओं, प्राथमिक उपचार की सुविधा, भूसे चारे का रखरखाव एवं व्यवस्था, बीमार पशुओं की देखभाल, साफ-सफाई, स्वच्छता, गोवर से निर्मित उत्पाद जैसे गोवर की लकड़ी, छोटे कंडे एवं जैविक खाद निर्माण इत्यादि की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण सह भ्रमण कार्यक्रम में नीरज परमार, जिला परियोजना प्रबंधक एन.आर.एल.एम. श्री प्रदीप उपासे परियोजना अधिकारी, मनरेगा संदीप दीक्षित जिला प्रबंधक, (एम.ई.डी.) राकेश शर्मा वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी विकासखण्ड मानपुर, आजिविका मिशन के समस्त विकासखण्ड प्रबंधक एवं सभी चयनित स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने भाग लिया।