नारी तू ही भाग्य विधाता,,, ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन 


उमरिया- पूरे विश्व में महिलाओं के योगदान एवं उपलब्धियों की तरफ लोगों का ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश नारी को समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाना और उसके स्वयं में निहित शक्तियों से उसका ही परिचय कराना होता है अपने व्यक्तित्व को सुमन्नत बनाकर राष्ट्रीय समृद्धि के संबंध में नारी कितना बड़ा योगदान दे सकती है इसे उन देशों में जा कर देख आंखों से देखा या समाचारों से जाना जा सकता है जहां नारी को मनुष्य मान लिया गया है और उसे उसके अधिकार सौंप दिए गए नारी उपयोगी परिश्रम करके देश की प्रगति में योगदान तो दे ही रही है साथ ही साथ परिवार की आर्थिक समृद्धि भी बढ़ा रही हैं इस प्रकार सुयोग बनकर रहने पर अपने को गौरवान्वित अनुभव कर रही है जिससे परिवार को छोटा सा उद्यान बनाने और उसे सुरक्षित पुष्पों से भर पूर बनाने में सफल हो रही उक्त उदगार स्थानीय  शांति मार्ग स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ब्रह्माकुमारी आश्रम मे  अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भ्राता श्रवण कुमार दुबे ,,सेवा निवृत्त पुलिस,, ने व्यक्त किए साथ ही उन्होंने महिलाओं को देवी का दर्जा देते हुए कहा कि जिस घर में नारी का सम्मान नहीं होता वहां कभी भी देवता वास नहीं करते कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही सेवा केंद्र संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन ने अपने सारगर्भित उद्बोधन व्यक्त करते हुए कहा कि  आज जरूरत है कि समाज में महिलाओं को अज्ञानता ,अशिक्षित, कूप मंडूप,  संकुचित विचारों और रूढि़वादी भावनाओं के गर्त से निकाल कर प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए उसे आधुनिक घटनाओं ऐतिहासिक गरिमामय जानकारी और जाति क्रियाकलापों से अवगत कराने के लिए उसमें आर्थिक सामाजिक शैक्षणिक राजनीतिक चेतना पैदा करने की जिससे कि नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज को आगे बढ़ाने में सहयोग कर सकें साथ-साथ आज जरूरत है कि समाज की जितनी भी रूढि़वादी समस्याएं हैं हमें उनका समाधान खोजते हुए हठधर्मिता त्याग कर शैक्षिक सामाजिक सौहार्द पूर्ण व्यवसायिक और राजनीतिक चेतना का मार्ग प्रशस्त करते हुए महिलाओं के सामाजिक उत्थान का संकल्प लेना चाहिए महिला सशक्तिकरण का अर्थ है की महिलाओं में आध्यात्मिक शैक्षणिक सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक शक्ति में वृद्धि करना बिना इसके महिला सशक्तिकरण असंभव है आज हर महिला समाज में धार्मिक रूढिय़ों पुराने नियम कानून में अपने आप को बांधा महसूस करती है पर अब वक्त है कि हर महिला तमाम रूढिय़ों से खुद को मुक्त करें प्रकृति ने औरतों को खूबसूरती ही नहीं द्रढ़ता भी दी है भारतीय समाज में आज भी कन्या भ्रूण हत्या जैसे कृत्य दिन-रात किए जा रहे हैं पर हर कन्या में एक मां दुर्गा छिपी होती है यह हैरत की बात है कि दुर्गा की पूजा करने वाला इंसान दुर्गा की प्रतिरूप नवजात कन्या का गर्भ में ही वध कर देता है इसमें बाप परिवार के साथ समाज भी इसका सहयोग देता है और जरूरत है कि देश में बच्चियों को हम वही आत्मविश्वास और हिम्मत दें जो लड़कों को देते हैं इससे प्रकृति का संतुलन बना रहे।कार्यक्रम मे आये जिज्ञासु माताओं,बहनो,भाईयो ने भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने विचार रखें कार्यक्रम का सफल संचालन व आभार प्रदर्शन  संस्था के मीडिया प्रभारी भ्राता एस कुमार ने किया   अंत में सभी जिज्ञासुओ का मुख मीठा कराया गया।