दीपनारायण सोनी
उमरिया । संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र बिरसिंहपुर में कोयला अनलोडिंग का काम करने वाले लगभग 600 से 700 ठेका मजदूरों को काम बंद हड़ताल के बाद भी मजदूरी भुगतान में भारी गोलमाल हो रहा है । लॉक डाउन के दौरान जब सब कुछ ठप्प था तब भी ये श्रमिक भारी असुरक्षा के बीच काम करते रहे , जबकि न तो उनका पुलिस वेरिफिकेशन किया गया , न स्क्रीनिंग कराई गई , न मास्क और सेनेटाइजर का वितरण किया गया । बावजूद इसके उन्हें मजदूरी देने में ठेकेदार द्वारा की जा रही आनाकानी पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करती है जिसमें एमपीईबी संजय ताप बिजली घर के वेलफेयर विभाग से लेकर राज्य शासन का श्रम विभाग और जिला प्रशासन सामूहिक रूप से जिम्मेदार हैं । अब जब मजदूरी भुगतान की पेंच फंसी है तब एक.एक करके सारी परतें बाहर आ रही हैं, जिनसे पता चल रहा है कि कोल साइडिंग के जंगल मे झोपड़ी बनाकर रह रहे इन श्रमिकों को बुनियादी सुविधाएं भी प्राप्त नहीं हैं । ठेके के पावर जेनरेशन कम्पनी विद्युत मंडल द्वारा दिये गए वर्क आर्डर की शर्तों के नियमानुसार श्रमिकों का मजदूरी भुगतान सीधे उनके एकाउंट में किया जाना चाहिए, लेकिन मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने और लेबर लॉ की अवहेलना कर दसों वर्षों से उन्हें साइट पर ही अधिकारियों के सांठगांठ से नकद भुगतान किया जाता रहा है । यही नहीं ज्यादातर श्रमिकों का न तो ईपीएफ काटा जाता है , और यदि काटा भी जाता रहा तो जिनके नाम से ईपीएफ काटा गया क्या वही यहां कोयला अनलोडिंग का काम करने वाले प्रमाणित मजदूर है जिन्हें न मिनिमम वेजेज और कोई दूसरी सुविधाएं दी जाती हैं । हैरान करने वाली बात तो यह है कि ठेकेदार के फर्जी मस्टररोल को सिर्फ एमपीईबी पावर प्लांट के जिम्मेदार अधिकारी वेलफेयर अधिकारी तो प्रमाणित करते ही हैं । जिले के श्रम विभाग के अधिकारी भी अपनी जवाबदेही से आंख मूंदे हुए हैं । अब जबकि लॉक डाउन के दौरान श्रमिक अपने मजदूरी की मांग कर रहे हैं तब ठेकेदार की ढाल बने अधिकारी नगद और अकाउंट का बखेड़ा खड़ा कर भुगतान लटका रहे हैं । हैरान करने वाली बात यह है कि जब पिछले दसों साल से ज्यादा समय से लगातार नगद भुगतान किया जा रहा था तब किसी ने संवेदनशीलता नही दिखाई ।
अधिकारियों का ढोंग
कोयला अनलोडिंग का काम कोयला सर्विसेस वृत्त.2 के अंतर्गत आता है । जिसका प्रभार एक दशक से कार्यपालनयंत्री एसपी निषाद के पास है । लाक डाउन के दौरान मजदूरी भुगतान नहीं होने से भूखों मरने की कगार पर पहुंच गए श्रमिकों ने जब 19 अप्रैल को काम बंद हड़ताल की तब कार्यपालन यंत्री ने यह कहते हुए खुद को इस प्रभार से मुक्त करने का पत्र मुख्य अभियंता को लिखा गया है कि मजदूर नगद भुगतान की मांग कर रहे हैं । चूंकि ठेकेदार कोरबा में है, इसलिए वह पैसा लेकर आ नहीं सकता ।लिहाजा नगद भुगतान संभव नहीं है । अब सवाल उठता है कि जब पिछले दसों साल से नगद भुगतान ही चल रहा था तब मजदूरों की मांग में नया क्या था जिसे मुद्दा बनाया जा रहा है । तात्कालिक परिस्थितियों में यदि उनकी मांग नाजायज थी तो उनके खातों में समय पर मजदूरी की राशि ट्रांसफर कर दी जाती लेकिन ऐसा नही किया गया । ऐसा इसलिए संभव नहीं था क्योंकि इन मजदूरों में से अधिकांश का बैंक एकाउंट ही नही है । कार्यपालन अभियंता निषाद के द्वारा स्वयं हटाये जाने के पत्र देने के बाद आज तक उस पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नही की क्योंकि वही सारे अधिकारी मजदूरों के नगद भुगतान और ईपीएफ के गोलमाल में किसी न किसी रूप में जुडे और जिम्मेदार हैं। लिहाजा निषाद को हटाते ही उनके भी कारनामो और संरक्षण की परतें खुल जायेंगी क्योंकि सारा खेल संगठित ग्रुप की देखरेख में आज भी यथावत जारी है। कोयला सर्विसेज मंडल का सबसे मलाईदार विभाग माना जाता है । तब सवाल उठता है कि 2009 से इस पद पर जमे कार्यपालनयंत्री एस पी निषाद ने खुद को वहां से हटाने की पेशकश क्यों की । क्या उन्हें मजदूरी घोटाले की जांच का डर सता रहा है या कोयले की लोडिंग अनलोडिंग के ठेकों में हुए गडबड झालों की जांच का डर । ् आखिर क्या वजह है कि मंडल उन्हें इतने सालों से एक ही पोस्ट कार्यपालन अभियंता निषाद एवं लम्बे समय से कोयला परिवहन व्यवस्था और अनलोडिंग सैंपलिंग गुणवत्ता का मजदूरों का भुगतान आदि की जिम्मेदारी का कार्य एक दशक से अधीक्षण अभियंता सर्विसेज के पद बैठे यहीं पदोन्नति पाकर बने अतिरिक्त मुख्य अभियंता एस के जैन को बर्दाश्त कर रहा है । दोनों ही अधिकारियों के निर्दशन मार्गदर्शन में चल रहे कामों में गडबडियों और भ्रष्टाचार के खुलासे की संभावना में कहीं यह पत्र सरकार पर दबाव बनाने का षड्यंत्र तो नहीं है, इनके कार्यकाल में ऐसा कारनामा कई बार कोयला अनलोडिंग मजदूरों को उकसा कर पूर्व में भी कराया गया । ताप बिजलीघर के कोयला अनलोडिंग में लगे 600 से 700 मजदूरों के दसों साल से करोड़ों रुपयों के भविष्य निधि ई पी एफ घोटाले की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराई जाए तो कितने ही भ्रष्ट अधिकारी सींकचों के अंदर नजर आएंगे
इनका कहना है
कार्यालय की एक प्रक्रिया होती है जिसके तहत मजदूरों का इपीएफ काटा जाता है। उसी हिसाब से सबके इपीएफ काटे गये है। इपीएफ ओ आफिस में सबके रिकार्ड है जिन्हें देखा जा सकता है। रही बात आरोपों की तो आरोप तो कोई भी किसी के ऊपर लगा सकता है। ये पब्लिक डोमेन की चीजे है। ये कोई छुपाने वाली चीज नही है। कंपलेन तो करने वाले करते ही रहते है। सभी काम नियमानुसार हो रहे है।
एसके जैन
एडीशनल चीफ इंजीनियर संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र बिरसिंहपुर पाली