उमरिया - संजय ताप बिजली घर की 1340 मेगावाट क्षमता की पांच इकाइयों को प्रति महीने 5लाख 65 हजार मेट्रिक टन कोयले की आपूर्ति का लिंकेज कोल इंडिया के एस ई सी एल की कोरबा रायगढ सोहागपुर, हसदेव, जमुना , कोतमा, जोहिला आदि क्षेत्र की खदानों से रेल रेक से पावर ग्रेड के कोयले की सप्लाई होती है ।
पावर हाउस को सप्लाई होने वाले कोयले का ग्रेड उसमे राख (फ्लाई ऐश )के प्रतिशत पर दरें कोल इंडिया से निर्धारित हैं आज एसईसीएल की कोरी छापर कोयला खदान से जनवरी से अब तक लगभग 4 लाख टन कोयला रेल रेक से पहुँचा । कोयले के काले खेल के भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे अधिकारियों और इस काम से जुडे कॉकस के ऊपर कार्यवाही ना होना सरकार और प्रशासन के पर्दे के पीछे संरक्षण की ओर इंगित करता है ।
एक नजर आंकडों पर
म प्र जेनको में जनवरी 2020 से एमडी ए के नंदा के पद से हटाए जाने के बाद जेनको में इस महत्वपूर्ण कमाई दार कुर्सी पर बैठने के लिए न जाने कितने दावेदारों की मंशा पर पानी फिर गया जब इस पद की भर्ती के मापदंडों में 60 साल तक उम्र की सीमा रखी गयी । भर्ती के लिए जो पैमाना रखा गया वह किसी अपने विशेष चहेते की योग्यता के लिये तैयार किये जाने की बात दबी जुबान में जेनको में चर्चित है। परंतु जनवरी से मई 2020 के तीसरे सप्ताह तक बिजली घरों में बिजली उत्पादन कोयला परिवहन खपत आदि के श्रेष्ठ कीर्तिमान बनते रहे और एसजीटीपी बीरसिंहपुर की इकाइयों में 31 मार्च 2020 को मात्र 570 ग्राम कोयले की खपत हुई और कोरोना लॉक डाउन के काल मे 26 मई को जेनको के मनजीत सिंह जो विद्युत मंडल में डायरेक्टर कमर्शियल के पद पर थे को नया एमडी बनाया गया जिससे कितने ही लोगों के दिव्य स्वप्न बिखर गए। कोयला एसजीटीपी में उन्हीं खदानों से आज भी रेल रैकों से आ रहा है परंतु जहां 570 ग्राम कोयला लगाया गया वहीं 30 मई को 820 ग्राम प्रति यूनिट खपत हुई यह इस बात को प्रमाणित करती है कि पावर प्लांटो में दशकों से कोयले के शातिर खिलाडियों की टीम ने पहली बार जेनको के इतिहास में इंजीनियरिंग की बजाय कॉमर्स क्षेत्र के एमडी का कैसा स्वागत हुआ और अब भी जारी है।
फ्लाई ऐश में मंडल को रोजाना लाखों चूना
एसजीटीपी बीरसिंहपुर में जून महीने के पांच दिनों में कोयले की खपत और उससे निकली राख का मामला भी बडा दिलचस्प है। पांच दिनों में लगभग 86 हजार900 मैट्रिक टन कोयला जलाया गया और जब बिजली बनाने में 820 से 770 ग्राम प्रति यूनिट कोयले को फूंका गया जो कोयले में राख के ज्यादा होने की कहानी बतला रही है यानी 38 से 40: से ज्यादा राख निकली होगी जो 35 हजार मैट्रिक टन के करीब होनी चाहिये जिसे 121 रु प्रति मेट्रिक टन की दर से सीमेंट फैक्टरियों को टैंकरों में भरकर प्रति दिन परिवहन किया जाता है और पांच दिनों में सिर्फ 278 टैंकरों में ही फ्लाई ऐश राख भेजी गयी है और एवरेज 50 मेट्रिक टन प्रति टैंकर के हिसाब से 14 हजार मैट्रिक टन फ्लाई ऐश भेजी गयी बांकी 20 हजार ै मैट्रिक टन राख जिसका मूल्य 24 लाख रु होता है का सीधा नुकसान जेनको को हुआ क्योंकि यदि यह राख जिसे सीमेंट फैक्टरी न भेज कर ऐश डैम में डाला गया तो इसको मुफ्त में फैक्टरियों तथा ईंट भ_ों को दिया जाता है। और इस बीच ईंट भ_ों को एक टन भी राख नहीं दी गयी वे ट्रक लिए हप््तो से खडे है उनका उद्योग इस कोरोना महामारी ठप्प है और मजदूरों को काम भी नही उपलब्ध हो रहा लगता है अधिकारी निछावर की लालसा में नजरें टिकाएं हैं ।
एएसएच हैंडलिंग सिस्टम बर्बाद तो नही
एसजीटीपी में एएसएच हैंडलिंग सिस्टम का काम मेसर्स के के पावर कम्पनी का है जिनसे यहाँ के अधिकारियों से लंबी सांठगांठ है तभी तो ऐश हैंडलिंग सिस्टम की सेलो में जाने वाली पाइप लाइन चोक खराब हैं और फ्लाई ऐश टैंकरो में भरने के लिए बने सेलो नही जा रही उसी 121 रु प्रति टन कीमत से महीने में करोडों रु का मंडल को आर्थिक हानि हो रहा है । यह राशि ठेकेदार से वसूली योग्य होना चाहियें परन्तु भ्रष्टाचार में गले तक डूबे अधिकारियों को मंडल के हित की बजाय अपनी कमीशनखोरी पर ज््यादा ध्यान है
इनका कहना है
इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिए जब संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र के मुख्य अभियंता व्ही के कैथवार एवं एडिशनल चीफ एस के जैन से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होने फोन रिसिव नही किया।