विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर रोपित किए गए पौधे 



उमरिया -  कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर संयुक्त कलेक्ट्रेट परिसर मे आम के पौध रोपित किए। इस अवसर पर एसडीएम बांधवगढ अनुराग सिंह , सहायक आयुक्त आदिवासी विकास आंनद राय सिन्हां, सहायक संचालक उद्यानिकी , जन अभियान परिषद के समन्वयक रवि शुक्ला, निर्वाचन पर्यवेक्षक हरिशंकर झारिया, स्टेनों सुभाष सेन उपस्थित रहे। कलेक्टर ने जिला पंचायत परिसर में फलदार पौध रोपित किया। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अंशुल गुप्ता, परियोजना अधिकारी , कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा तथा कार्यालयीन स्टाफ उपस्थित रहे। 
 कलेक्टर ने कहा कि हम सबकों जैव विविधिता के संरक्षण के लिए अपने स्वयं के हित में मानसिकता विकसित करनें की जरूरत है। सबको मिलकर वनो का विकास करना चाहिए। जलवायु के अनुसार अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर उनका संरक्षण , उपलब्ध जल संसाधनों का किफायती उपयोग , बंजर भूमि को सिंचित कर उपजाउ एवं हरा भरा बनाने, चारा गाह क्षेत्रों के विकास तथा पशुओ के चरने पर रोक लगाने, कृषि भूमि पर अंतरवर्तीय फसलें लेने, खनिज किफायती उपयोग करनें, नदियों एवं जलाशयों में विषैले रसायनिक पदार्थो को मिलाने की प्रवृत्ति को छोडने जैसे ंसकल्प लेने की आवश्यकता है। 
जिला प्रेस परिषद मे हुआ वृक्षारोपण 
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 5 जून को जिला प्रेस परिषद द्वारा आयोजित वृक्षारोपण कार्यक्रम में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव , पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा , उप संचालक बांधवगढ नेशनल पार्क सिद्धार्थ गुप्ता द्वारा फलदार पौध रोपित किए गए। इस अवसर पर जिला प्रेस परिषद के पदाधिकारी एवं पत्रकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेसिंग तथा मास्क लगानें की अनिवार्यता का पूर्णत: पालन किया गया।  कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि हरियाली से धरती माता का श्रृंगार होता है । विश्व पर्यावरण दिवस हम सबको प्रकृति की सुरक्षा एवं संसाधनोंं के बेहतर उपयोग का संदेश देता है। आपने जिलावासियों को पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं देते हुए सभी से कम से कम एक पौध रोपित करनें तथा उनकी सुरक्षा की जिम्मेंदारी लेने का आग्रह किया है। पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने कहा कि मानव जीवन के लिए स्वच्छ पर्यावरण नितांत आवश्यक है । हम सबकों पर्यावरण की सुरक्षा का सामूहिक दायित्व निभानें हेतु आगें आना चाहिए। उप संचालक बांधवगढ नेशनल पार्क सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा कि प्रकृति के संरक्षण के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है। हम सबको मिलकर पर्यावरण को स्वस्थ्य बनानें का संकल्प लेते हुए कार्य भी करना चाहिए। रिसाइक्ंिलग, सौर उर्जा, बायो गैस , बायो खाद, रेन वाटर हार्वेस्ंिटग जैसी तकनीको को अपनाना चाहिए। 
विश्व पर्यावरण दिवस से शुरू हुआ अभियान
आशीष स्वामी ने बताया कि बीज बांटने का अभियान तो काफी समय से चल रहा है लेकिन नीम का बिरवा लगाने का अभियान पर्यावरण दिवस से शुरू हो गई है। नीम का पौधा लगाने की शुरूआत ग्राम लोढ़ा से की गई। इसी के साथ आसपास के कई गांवों में भी अभियान का शुभारंभ किया गया है। 
घर का वैद्य नीम
 जोधइया बाई बैगा ने बताया कि गांवों में नीम का महत्व किसी वैद्य से कम नहीं। इसका पूजन देवता की तरह किया जाता है। आदिवासी क्षेत्रों में नीम को शीतला माता के रूप में पूजा जाता है और कुछ रोगों में इसके पत्तों को घरों में बांध दिय जाता है। माता रोग के दौरान रोगी को नीम के बिछौने पर सुलाया जाता है ताकि उसके शरीर में जलन न हो। मलेरिया और हड्डी के बुखार के दौरान भी नीम को घर के दरवाजे पर बांध दिय जाता है और उसके पत्ते रोगी को खिलाए जाते हैं। चर्म रोग पर भी नीम को पीसकर लगाया जाता है जिससे घाव ठीक हो जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शव को ज्यादा समय तक रखने के लिए बर्फ नहीं मिलती, बल्कि नीम के पत्तों से ढाककर रखा जाता है जिससे वह सुरक्षित रहता है।
नीम भी मेरे चित्र
दुनिया में फैला कोरोना अगर जोधइया बाई के जीवन में पतझड़ बनकर न आया होता तो आज उनके चित्रों की प्रदर्शनियां कई देशों में लगी होती। अपनी इस तकलीफ को हंसी में टालती हुई जोधइया बाई बैगा ने जो कुछ कहा उसे जनगण तस्वीरखाना जनजातीय स्टूडियो के संचालक और जोधइया बाई के प्रशिक्षक आशीष स्वामी ने समझाया नीम भी मेरे चित्र हैं। जब वे हर आंगन में लगेंगे तो किसी प्रदर्शनी से कम नजर नहीं आएंगे। ऐसे लगेगा हर आंगन नीम का बिरवा आशीष स्वामी ने बताया कि जनगण तस्वीरखाना से जुड़े आदिवासी युवकों ने हर आंगन नीम का बिरवा अभियान के लिए पूरी तैयारी की है। पूरे क्षेत्र में एक हजार नीम के पौधों के वितरण का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए जिले के दर्जनों गांवों में पांच से दस युवाओं की टीम काम करेगी। युवओं की यह टीम हर गांव तक नीम के पौधे न सिर्फ पहुंचाएगी बल्कि उसे लोगों के आंगन या बाड़ी में लगवाएगी भी। जिनके घरों में यह पौधे लगाए जाएंगे उन पर इसके पालन की जिम्मेदारी होगी और उस गांव के युवओं की टीम की जिम्मेदारी इन पौधों के विकास पर नजर रखने की होगी।