अनियमितता की जांच करते करते गायब हो गई जांच फाईल


उमरिया - कार्यालय कलेक्टर एवं लोक सूचना अधिकारी जिला उमरिया म.प्र. ने अपने कार्यालयीन पत्र क्र 1724/सू.का.अधि./2020 उमरिया दिनांक 03.06.2020 के द्वारा यह बताया है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह ने नगरपालिका परिषद उमरिया में व्याप्त भ्रष्टाचार की जो जांच कराई थी उसकी नस्ती कार्यालय कलेक्टर एवं कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत उमरिया में संधारित नही है। तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह ने नगरपालिका परिषद उमरिया में व्याप्त भ्रष्टाचार की जॉच करने हेतु पांच दलों का गठन किया था तथा जॉच समिति से एक माह में जॉच प्रतिवेदन मांगा था। कलेक्टर के निर्देश पर अपर कलेक्टर विकास एच. एस. मीणा ने मस्टर रोल, निर्माण कार्य, क्रय सामग्री एंवं हितग्राही मूलक योजनाओं से ंसंबंधित विगत पांच वर्षेा की रेण्डम जॉच हेतु जॉच दल गठित किये थे। गठित जॉच दल में तत्कालीन तहसीलदार बांधवगढ राकेश चौरसिया को 5 वर्ष के मस्टर रोल के कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन करने, ए.के.महोबिया तत्कालीन लेखा अधिकारी जिला पंचायत उमरिया को 5 वर्ष की सामग्री क्रय निर्माण तथा लेखा संबंधी जॉच, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आर.ई.एस.आर.के. दीक्षित को 5 वर्ष के समस्त निर्माण कार्यो का भौतिक सत्यापन करने, प्रशांत सिंह ठाकुर तत्कालीन सहायक परियोजना अधिकारी जिला पंचायत उमरिया को 5 वर्ष की भर्ती प्रक्रिया एवं स्थापना सबंधी जॉच तथा तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अवधेश सिंह को विगत 5 वर्षो के हितगाही मूलक योजनाओं संबंधी जॉच के निर्देश दिये गये थे। इन अधिकारियों के साथ अन्य कर्मचारियों को भी जॉचदल में शामिल किया गया। 
   विदित हो कि वर्ष 2013 से 2018 के बीच नगरपालिका परिषद उमरिया में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आए है जिनमें से एक लोकायुक्त प्रकरण क्र 678/2016 के अनुक्रम में परिषद के कर्मचारियों नारायण दुबे, अनिल पुरी, और मनीष साहा को लगभग 17 लाख रूपये की राशि के गबन का दोषी पाते हुए शास्ति अधिरोपित की गई है जिससे बचने के लिए इन कर्मचारियों के द्वारा ूच.20051.2019  व ूच.20981.2019के तहतन्यायालय की शरण ली गई है। 
क्षेत्रीय कार्यालय उपसंचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा रीवा म.प्र. द्वारा वर्ष 2013-14 व 2014-15 के अंकेक्षण प्रतिवेदन में यह स्पष्ट उल्लेख किया है कि आडिट हेतु मांगे जाने पर परिषद द्वारा कर किराया की मांग पंजी, डेड स्टाक रजिस्टर, अग्रिम पंजी, अमानत पंजी, अनुदान पंजी, वेतन रजिस्टर एवं सेवा पुस्तिकाएं वाद पंजी, आय व्यय पंजी, दुकान नीलामी से संबंधित नस्ती फाइल, नजूल भूमि आवंटन से संबंधित समस्त अभिलेख, आई.डी.एस.एम.टी., बी.आर.जी.एफ, भवन सन्निर्माण एवं मुख्य मंत्री अधोसंरचना पत्रक प्रस्तुत नही किये गये। वर्ष 2015-16, 2016-17 तथा 2017-18 की आडिट में पुन: ये दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये गये। जो कि दाल ही काली है इस तथ्य की पुष्टि करता है। 
आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास म.प्र. भोपाल ने अपने कार्यालयीन पत्र क्र एफ 4-51/2012/18-1 भोपाल दिनांक 28.02.2014 में आदर्श कार्मिक संरचना की स्वीकृति देते हुए मस्टर श्रमिकों की भर्ती प्रतिबंधित करते हुए नवीन पदों की भर्ती संविदा से करने हेतु निर्देशित किया था । किन्तु उक्त आदेश को ताक पर रखकर व्यापक पैमाने पर नियम विरूद्ध मस्टर श्रमिकों की भर्ती की गई। 
उक्त सारे तथ्य नगरपालिका परिषद उमरिया में वर्ष 2013 से 2018 के बीच हुए भ्रष्टाचार की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच की फाइल संधारित न होने बात प्रशासन के उपर भी प्रश्नवाचक चिन्ह लगाती है।
 कलेक्टर जिला उमरिया संजीव श्रीवास्तव से अपेक्षा है कि फाइल गायब होने की जांच करवा कार्यालय कलेक्टर की शिकायत शाखा के दोषी कर्मचारियों व जिला पंचायत उमरिया के दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध उचित वैधानिक कार्यवाही करें। 
अनियमितता की जांच करते करते गायब हो गई जांच फाईल
वर्ष 2013 से 2018 के बीच का मामला
फोटो ७
उमरिया - कार्यालय कलेक्टर एवं लोक सूचना अधिकारी जिला उमरिया म.प्र. ने अपने कार्यालयीन पत्र क्र 1724/सू.का.अधि./2020 उमरिया दिनांक 03.06.2020 के द्वारा यह बताया है कि वर्ष 2016 में तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह ने नगरपालिका परिषद उमरिया में व्याप्त भ्रष्टाचार की जो जांच कराई थी उसकी नस्ती कार्यालय कलेक्टर एवं कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत उमरिया में संधारित नही है। तत्कालीन कलेक्टर अभिषेक सिंह ने नगरपालिका परिषद उमरिया में व्याप्त भ्रष्टाचार की जॉच करने हेतु पांच दलों का गठन किया था तथा जॉच समिति से एक माह में जॉच प्रतिवेदन मांगा था। कलेक्टर के निर्देश पर अपर कलेक्टर विकास एच. एस. मीणा ने मस्टर रोल, निर्माण कार्य, क्रय सामग्री एंवं हितग्राही मूलक योजनाओं से ंसंबंधित विगत पांच वर्षेा की रेण्डम जॉच हेतु जॉच दल गठित किये थे। गठित जॉच दल में तत्कालीन तहसीलदार बांधवगढ राकेश चौरसिया को 5 वर्ष के मस्टर रोल के कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन करने, ए.के.महोबिया तत्कालीन लेखा अधिकारी जिला पंचायत उमरिया को 5 वर्ष की सामग्री क्रय निर्माण तथा लेखा संबंधी जॉच, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री आर.ई.एस.आर.के. दीक्षित को 5 वर्ष के समस्त निर्माण कार्यो का भौतिक सत्यापन करने, प्रशांत सिंह ठाकुर तत्कालीन सहायक परियोजना अधिकारी जिला पंचायत उमरिया को 5 वर्ष की भर्ती प्रक्रिया एवं स्थापना सबंधी जॉच तथा तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अवधेश सिंह को विगत 5 वर्षो के हितगाही मूलक योजनाओं संबंधी जॉच के निर्देश दिये गये थे। इन अधिकारियों के साथ अन्य कर्मचारियों को भी जॉचदल में शामिल किया गया। 
   विदित हो कि वर्ष 2013 से 2018 के बीच नगरपालिका परिषद उमरिया में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आए है जिनमें से एक लोकायुक्त प्रकरण क्र 678/2016 के अनुक्रम में परिषद के कर्मचारियों नारायण दुबे, अनिल पुरी, और मनीष साहा को लगभग 17 लाख रूपये की राशि के गबन का दोषी पाते हुए शास्ति अधिरोपित की गई है जिससे बचने के लिए इन कर्मचारियों के द्वारा ूच.20051.2019  व ूच.20981.2019के तहतन्यायालय की शरण ली गई है। 
क्षेत्रीय कार्यालय उपसंचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा रीवा म.प्र. द्वारा वर्ष 2013-14 व 2014-15 के अंकेक्षण प्रतिवेदन में यह स्पष्ट उल्लेख किया है कि आडिट हेतु मांगे जाने पर परिषद द्वारा कर किराया की मांग पंजी, डेड स्टाक रजिस्टर, अग्रिम पंजी, अमानत पंजी, अनुदान पंजी, वेतन रजिस्टर एवं सेवा पुस्तिकाएं वाद पंजी, आय व्यय पंजी, दुकान नीलामी से संबंधित नस्ती फाइल, नजूल भूमि आवंटन से संबंधित समस्त अभिलेख, आई.डी.एस.एम.टी., बी.आर.जी.एफ, भवन सन्निर्माण एवं मुख्य मंत्री अधोसंरचना पत्रक प्रस्तुत नही किये गये। वर्ष 2015-16, 2016-17 तथा 2017-18 की आडिट में पुन: ये दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये गये। जो कि दाल ही काली है इस तथ्य की पुष्टि करता है। 
आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास म.प्र. भोपाल ने अपने कार्यालयीन पत्र क्र एफ 4-51/2012/18-1 भोपाल दिनांक 28.02.2014 में आदर्श कार्मिक संरचना की स्वीकृति देते हुए मस्टर श्रमिकों की भर्ती प्रतिबंधित करते हुए नवीन पदों की भर्ती संविदा से करने हेतु निर्देशित किया था । किन्तु उक्त आदेश को ताक पर रखकर व्यापक पैमाने पर नियम विरूद्ध मस्टर श्रमिकों की भर्ती की गई। 
उक्त सारे तथ्य नगरपालिका परिषद उमरिया में वर्ष 2013 से 2018 के बीच हुए भ्रष्टाचार की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच की फाइल संधारित न होने बात प्रशासन के उपर भी प्रश्नवाचक चिन्ह लगाती है।
 कलेक्टर जिला उमरिया संजीव श्रीवास्तव से अपेक्षा है कि फाइल गायब होने की जांच करवा कार्यालय कलेक्टर की शिकायत शाखा के दोषी कर्मचारियों व जिला पंचायत उमरिया के दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध उचित वैधानिक कार्यवाही करें।